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अब्बा, डब्बा , चब्बा राजनीती , दोस्तों कई महीनो के बाद आज फिर एक टीस उठी कुछ समझ न आने पर पहले मैं ”क्या लिखूं ” लिखकर खामोश हो जाना चाहता था , बल्कि खामोश हो भी गया था पर आज फिर एक टीस उठी ….. शायद खामोश रहने से काम नहीं चलेगा ये राजनीती का दानव कंही मेरे देश को न खा जाये……. दोस्तों हम सभी किसी न किसी राजनेतिक पार्टी के पक्ष में , किसी के विपक्ष में है ! और जिन्हें राजनीती पसंद नहीं वे अन्ना हजारे जी के साथ हैं लेकिन वंहा से भी राजनीती की धारा चलायमान हो चुकी है … वो धारा कंहा रुकेगी कहा नहीं जा सकता , हो सकता है बाढ़ बनकर सबको बहा दे ,,,,,,,? पर ये भी हो सकता है की इस टेक्नोलोजी के युग में कोई बांध बनाकर इस धारा को अपने खेतों की सिंचाई के काम में लगा दे ……..! राजनीती में दो धड़े आमने -सामने होते हैं एक पक्ष और दूसरा विपक्ष जो की देश के हित में सही फैसलें लेने के लिए राजनीती करते हैं …….. किन्तु आज कल एक नया फैशन चला है देश की परवाह किसी को नहीं है !……..राजनीती हो रही है सिर्फ सत्ता पाने के लिए जन्हा जिस पार्टी की सरकार है उसे वंहा से हटाना है …….. लेकिन इससे देश का क्या भला होगा …… अगर कोई पार्टी गलत निर्णय ले रही है तो……… ..हमारा क्या फ़र्ज़ है हम देश की संपत्ति को तहस नहस करदें हम रेलों , बसों को आग के हवाले कर दें …….. हम सरकारी भवनों को तोड़ फोड़ दें सड़कों को जाम कर दें भारत बंद करदें चलो सब कर दिया ……….. अब सोचें ? ………….. गहराई से सोंचें ?…… ठन्डे दिमाग से सोंचें ….. की …. इससे कितना फायदा हुआ ?… शायद किसी सामान पर एक या दो रूपए कम हो गए ….. ठीक है ! अच्छा हुआ !!…. पर अब फिर से सोंचें इससे नुकसान कितना हुआ …… लाखों मजदूर गरीब भूके सोये ……. हजारों लोगों को लाखों का नुकसान हुआ और ये सारा नुकसान गरीबो के पैसों से उन पर टैक्स लगा कर वसूला जायेगा ……. या फिर आन्दोलनकारी अपनी जेब से उन टूटी फूटी रेलों और बसों को रिपेयर करवाएँगे उन मजदूरों को उनका वेतन देंगे या फिर उन्हें मुआवजा दिलाने के लिए दो दिन का बंद रखेंगे ……… फैंसला आपका ?, देश आपका ? नेताओं के साथ भीड़ आपकी ? { इसका शीर्षक अब्बा, डब्बा , चब्बा राजनीती } इसलिए रखा की कुछ समझ ना आये फिर भी समझाना पड़े तो मन की बात मन ही जाने देश के भ्रष्ट अब्बओं ने देश को डब्बे में डालकर उसका चब्बा करने का पूरा इंतजाम कर लिया है !….. जय हिंद ,
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