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क्यों बिकती हैं बेटियां ? … कंही हम ही तो नहीं जिम्मेदार ? ….जी हाँ ये बात सत्य है कहीं न कहीं हमारा समाज ही इसका जिम्मेदार है , पिछले दिनों एक खबर आई की गुजरात के बहन भाई ने अपने बच्चों की आपस में सगाई कर दी क्यों की उनके समाज में लड़के के मुकाबले लड़कियों का अनुपात घटता जा रहा है आज कई समाज ऐसे हैं जिनमें लड़कियों की संख्या में बड़ा अंतर आ रहा है…. इसी कारण कई गरीब परिवार अपनी बेटियों को पैसे लेकर बिहाते हैं या कहें की बेटियां चंद रुपयों के लिए बेंच दी जाती हैं इसका मुख्य कारण भ्रूण हत्या है आज भी हमारा समाज बेटियों को कोख मे ही मिटा देना चाहता है और इसका परिणाम…… शादी के लिए बेटियां खरीदना पड़ती हैं और जिन्हें आसानी से दुल्हन मिल जाती है वो अपने को तीस मारखां समझते हैं और दुल्हन के सात फेरों के बंधन के बदले में दहेज़ मांगते हैं …. शर्म करे वो बाप जो खुद एक लड़की के गर्भ से जन्मे हैं और अपनी ही उस माँ की परछाई जो आज बेटी बनकर आई है कोख में ही मिटा देना चाहते हैं !….. अगर लड़का पैदा भी हो गया तो फिर अपने वंश को बढाने के लिए बेटे की दुल्हन कन्हा से लायेंगे क्यों की हमारा समाज तो भेड़ चाल चलता है हर नए कर्म को फेशन समझता है भ्रूण हत्या भी एक फैशन बन चुकी है ! जिसे उस सोनोग्राफी सेंटर की जानकारी है जन्हा लिंग परिक्षण होता है अवश्य ही वह दुसरे का मददगार बनेगा और दूसरों को उस सोनोग्राफी सेंटर ले जायेगा …..
मैं उन डाक्टरों से पूछना चाहता हूँ की क्या वो किसी पुरुष की कोख से जन्मे हैं जो एक लड़की भ्रूण को चंद रुपयों के लिए मिटा देते हैं ….. ?
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